आज मेरे कोठे पर कोई नही आया । मैं दिन भर अपने कस्टमर का इंतजार करती रही , कोई नही आया । कल भी कोई नही आया था । मेरी समझ में नही आता कि आख़िर क्या हुआ है लोगों को , मेरा धंधा लगातार मंदा पड़ता जा रहा है । मैं अब यह धंधा छोड़ना चाहती हूँ । लेकिन मैं करूंगी क्या ? अब तो मैं किसी लायक नही रही , कम से कम इस शहर में तो नहीं ही रही । इस शहर के सारे दलाल, गुंडे , नेता , अभिनेता , चोर , चुहाड़ , पत्रकार , सेठ सब पहचानते हैं । अधिकांश नामधारी मेरे यहाँ आने के लिए बदनाम रहे हैं । लेकिन जब से देश में विकाश की बात होने लगी है , अमेरिका की बात होने लगी है , कम्प्यूटर की बात होने लगी है , बिजली और बम की बात होने लगी है , मेरे कस्टमर कम होने लगे हैं । लोग एड्स नाम की बीमारी के बारे में कह रहे हैं । मेरा एक कस्टमर कह रहा था कि अब एड्स का इतना हल्ला है , उसके डर से मेरे कस्टमर घट रहे हैं । मैं नही जानती यह एड्स क्या है , यह पहले लोगों को क्यों नही होता था , अब अचानक इतना क्यों होने लगा है कि मेरे कस्टमर सब डर गये हैं । बुरा हो इस एड्स का । इसे होना ही था , फैलना ही था तो पहले ही इतना फैला होता की मेरा सामूहिक बलात्कार करने से लोग डरते । मैंने जिससे प्रेम किया , उसने मुझे प्रसाद बना दिया , लेकिन उसे नही हुआ एड्स । उसने मुझे १० हजार में बेच दिया । उसका कुछ नही हुआ । वह सुना है अब ग्राम प्रधान हो गया है . बड़े -बड़े फैसले लेता है । अयोध्या में मन्दिर बनवाने के लिए लगी पार्टी का अपने इलाके में करता-धरता है। सुना है वह बच्चों को संस्कार देनेवाले स्कुल की देख-रेख करता है । मैं उस नासपिते, कोधिये की सब चाल समझती हूँ , क्या लोग नही समझते ? उस पर बज्जर गिरे । अब मेरा माथा दुःख रहा है । मेरी जिन्दगी तो नरक हो गयी । मैंने जहर -माहुर नही खाया जिन्दा मरती रही । पता नही और क्या-क्या देखना है मुझे ?